जिस दिन इस धर्मयुद्ध के लिए दोनों पक्ष सम्मत हुए, पूरुवंश के सिंहासन पर अभिषेक के लिए पंचतीर्थों के पवित्र जल की बजाय मनुष्य के ताजा और उष्ण रक्त डालने को सन्नद्ध हुए उस दिन क्या नियति की अदृश्य चोट नहीं सही मैंने? जीवन भर काँटों का मुकुट पहनकर पृष्ठ भाग में खड़ा रहा, काँटों भरी राह पर चला, बारंबार र..
भीष्म साहनी के कथा-साहित्य से गुज़रना अपने समय को बेधते हुए गुज़रना है। हिन्दी के प्रगतिशील कहानीकारों में उनका स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ उनके सात कहानी-संग्रहों से प्राय: सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है।युग-सापेक्ष सामाजिक यथार्थ, मूल्यपरक अर्थवत्ता और रचनात्मक सादगी इन कहानियों क..