क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बार..
सविता भार्गव के पहले काव्य-संकलन का नाम था—'किसका है आसमान’। पाँच-छह साल बाद 'किसका' जैसे प्रश्न से मुक्त होकर कवयित्री ने स्वयं के आकाश की रचना कर ली है।'अपने आकाश में' की कविताएँ जीवन-विवेक और काव्य-विवेक में बड़े परिवर्तन का संकेत देती हैं। पहले संकलन में यथार्थ और उसकी जो रचना-कला है, उससे सम्ब..
अपने-अपने कोणार्क यानी कश्मीर से ओडिशा का सफ़र। कश्मीर की सरसब्ज़ वादी में जन्मी और पली-बढ़ी चन्द्रकान्ता को भारत के अनेक प्रान्तों में रहने-बसने का मौक़ा मिला। लेकिन ओडिशा में बिताए गए छह वर्ष उनकी सर्जनात्मकता के लिए अमूल्य बन गए। उन्होंने वहाँ की जीवन-शैली, लोक-रंगों और परम्पराओं की महक महसूस की..
‘अपने जैसा जीवन’ एक नई तरह की कविता के जन्म की सूचना देता है। यह ऐसी कविता है जो मनुष्य के बाहरी और आन्तरिक संसार की अज्ञात–अपरिचित मनोभूमियों तक पहुँचने का जोखिम उठाती है और अनुभव के ऐसे ब्योरे या संवेदना के ऐसे बिम्ब देख लेती है, जिन्हें इससे पहले शायद बहुत कम पहचाना गया है। सविता सिंह ऐसे अनुभवों..
नितान्त अपनी ज़रूरत, अपने सुख, अपनी महत्त्वाकांक्षा, समृद्धि-लालसा की ख़ुदग़र्ज़ी के तक़ाज़े पर, इनसान ‘समूह’ बनाता है; समाज गढ़ता है; परिवार रचता है और अनगिनत रिश्तों के जाल में, अपने को उलझाए रखता है। लेकिन हैरत है, फिर भी हर इनसान निपट अकेला है, ज़िन्दगी-भर अकेला ही जीता है। ‘अपने लोग’ उपन्यास इसी न..
जीवन को अनुभूति और चिन्तन के विभिन्न धरातलों पर ग्रहण करनेवाले कवि कुँवर नारायण अपनी कविताओं में सीमाएँ नहीं बनाते; उनकी ज़्यादातर कविताएँ किसी एक ही तरह की भाषा या विषय में विसर्जित-सी हो गई नहीं लगतीं—दोनों को विस्तृत करती लगती हैं। अनेक कविताएँ मानो समाप्त नहीं होतीं, एक ख़ास तरह की हमारी बेचैनिय..
...‘कैसी विचित्र पुतलियाँ लग रही थीं मालती की। जैसे दगदगाती हीरे की दो कनियाँ हों, बार-बार वह अपनी पतली जिह्वा को अपने रक्तवर्णी अधरों पर फेर रही थी, यह तो नित्य की सौम्य-शान्त स्वामिनी नहीं, जैसे भयंकर अग्निशिखा लपटें ले रही थी...।’ यह कहानी है कुमुद की, जिसे बिगड़ैल भाई-बहनों और आर्थिक, पारिवारिक ..
राजेन्द्र यादव नई कहानी की ज़मीन को हमवार करनेवाले अगली पंक्ति के कथाकारों में एक रहे हैं। शहरी मध्यवर्गीय समाज की वर्गगत विद्रूपताओं, विडम्बनाओं और पीड़ाओं का अत्यन्त प्रामाणिक विश्वसनीय लेखा-जोखा उनके यहाँ मिलता है।जीवन के दैनिक प्रसंगों में निहित अन्तर्विरोध को उजागर करने के लिए कहानी के शिल्प म..
प्रस्तुत पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार श्री हरिवंश के लगभग दो दशकों (1991-2010) के बीच झारखंड राज्य से जुड़े लेखों का संग्रह है। सन् 1991 से 2000 के बीच झारखंड बिहार का हिस्सा था, सन् 2000 (15 नवंबर) में यह अलग राज्य बना। एक तरह से इसमें पीछे के दस वर्षों (1991-2000, बिहार) और आगे के दस वर्षों (2000-2010, ..
यह पुस्तक इन्सान और कुत्ते के बीच दिल को छू लेने वाले अनोखे रिश्ते की कहानी है। इसमें कुछ लम्हे हैं खुशी के, कुछ गम के, कुछ सपने हैं और उन सपनों को साकार करने का सफ़र है जिसके हर पड़ाव पर होने वाले उतार-चढ़ाव हैं। कहने को यह एक सीधी-सादी कहानी है लेकिन वास्तव में जीवन की उस मूलभूत गहरी सच्चाई को दर्..
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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 114p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1..
गांधीजी के पास विचारों की अमूल्य संपदा थी। उन्होंने भारत ही नहीं, वरन विश्व मानवता को अजस्र अनुदान दिए हैं। उनकी विचारधारा के प्रभाव से न केवल पश्चिमी क्षितिज पर विचारों का उदय हुआ, बल्कि आज भी पश्चिमी और भारतीय विचारक गांधीजी के विचारों से प्रभावित हो रहे हैं।गांधीजी जहाँ भी जाते थे, लोग उन्हें अ..