अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का आँखों-देखा हाल बयान करती यह किताब दुनिया के सबसे विकसित और शक्तिशाली देश के उस चेहरे का साक्षात्कार कराती है जो उसकी बहुप्रचारित छवि से अब तक प्रायः ढँका रहा है। 42 दिनों की यात्रा में लेखक ने कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौर में 34 दिन कार चलाकर लगभग 18 हजार किलोमीटर का ..
‘‘ठीक है, जैसा तुम कहो; लेकिन मुझे नहीं लगता कि तुम्हें बीमारी के मामले में कोई ज्यादा तजुरबा है और तुम्हारी मदद करके मुझे खुशी ही होती! जब तुम्हारे पति की ऐसी हालत होती है तो अमूमन तुम क्या करती हो?’’
‘‘मैं...मैं उन्हें सोने देती हूँ।’’
‘‘बहुत ज्यादा सोना भी सेहत के लिए बहुत अच्छा नहीं होता। तुम ..
एक दिन दुनिया के दोनों सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देशों में अपनी-अपनी महानता को लेकर बहस हो गई। अमेरिका कहने लगा, ‘‘बड़े-बड़े आतंकी मुझसे घबराते हैं। दुनिया मेरा लोहा मानती है। अतः मैं तुझसे बड़ा हूँ।’’ भारत ने अपनी मूँछ मरोड़ते हुए कहा, ‘‘मैं तेरे बड़प्पन को नहीं मानता। तू हमारे सामने टिकता कहाँ है? त..
"जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने इस दौड़ में अपने सहयोगी के तौर पर सीनेटर एवं अटॉर्नी के पद पर कमला हैरिस के नाम की घोषणा की तो पूरी दुनिया की निगाहें उनपर टिक गईं।
जब से बाइडन ने इस पद के लिए कमला के नाम की घोषणा की थी, तभी से कुछ सवाल चर्चाओं में थे—
कमला हैरिस में ऐसा क्या था,..