अहंकार की भक्ति से धन का नाशक्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाशदान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसादृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसीमारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई सेदासोह कर सकते हैं कभी?इक मन से लाकर इक मन से ही..