प्रस्तुत पुस्तक बिहार के अपेक्षाकृत पिछड़ेपन के कारणों को जानने के लेखक की अनुसंधानात्मक चेष्टा का परिणाम है। आखिर अकूत भौतिक संपदा तथा गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत वाले इस प्रदेश की दशा इतनी चुनौतीपूर्ण क्यों रही है? और इन संदर्भों में नेतृत्व परिणाम के अध्ययन हेतु डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जो लगभग 17 वर्..
किसी भी महान् व्यक्ति के पत्र उसके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जानने के सशक्त एवं मोहक माध्यम होते हैं। आम जीवन की बहुत सी बातें, जो पेशेवर इतिहासकारों द्वारा नजरअंदाज कर दी जाती हैं, पत्रों में स्थान पाकर उस युग, समाज और पीढ़ी के विषय में बहुमूल्य जानकारियाँ उपलब्ध कराती हैं। राष्ट्रीय आंदोलन के अग्र..
किसी भी महान् व्यक्ति के पत्र उसके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जानने के सशक्त एवं मोहक माध्यम होते हैं। आम जीवन की बहुत सी बातें, जो पेशेवर इतिहासकारों द्वारा नजरअंदाज कर दी जाती हैं, पत्रों में स्थान पाकर उस युग, समाज और पीढ़ी के विषय में बहुमूल्य जानकारियाँ उपलब्ध कराती हैं। राष्ट्रीय आंदोलन के अग्र..
रेशम विधवा थी—ज़माने के लिए, रीति-रिवाजों के लिए, शास्त्र-पुराणों के चलते घर और गाँव के लिए। विधवा सिर्फ़ विधवा होती है, वह औरत नहीं रहती—फिर यह बात पता नहीं उसे किसी ने समझाई कि नहीं? और रेशम ने, विधवा रेशम ने गर्भ धारण कर लिया। मगर जब सास ने कौड़ी-सी आँखें निकालकर उसे देखा, यह कहते हुए—‘मेरे बेटा ..
पूरनचन्द्र जोशी की इस रचना का नाम ही उसका असली परिचय है। इस निबन्ध-संग्रह का मूल विषय है हमारा समय और उसके चरित्र की रचना करनेवाले वे मूल प्रश्न और प्रेरणाएँ जो ‘स्थान’, ‘राष्ट्र’ और ‘विश्व’ के नए रिश्तों की तलाश से जुड़े हैं। पिछले कुछ दशकों से ‘उत्तराखंड’ इस तलाश की जीवन्त प्रयोगशाला बनकर उभरा है।..
उजैर ई. रहमान की ये ग़ज़लें और नज़्में एक तजरबेकार दिल-दिमाग़ की अभिव्यक्तियाँ हैं। सँभली हुई ज़बान में दिल की अनेक गहराइयों से निकली उनकी ग़ज़लें कभी हमें माज़ी में ले जाती हैं, कभी प्यार में मिली उदासियों को याद करने पर मजबूर करती हैं, कभी साथ रहनेवाले लोगों और ज़माने के बारे में, उनसे हमारे रिश्तों ..