रेणु ने अपने आत्म-कथ्य में चित्रगुप्त महाराज द्वारा निर्मित भाग्य-लेख के अंशों में अपना परिचय देते हुए कहा है कि यह आदमी ‘एक ही साथ सुर और असुर, सुन्दर और असुन्दर, पापी और विवेकी, दुरात्मा और सन्त, आदमी और साँप, जड़ और चेतन—सब कुछ होगा।’ क्या यही परिचय अपने विविध और विस्तृत रूप में उनकी समस्त रचनाओं ..