इस समय भारत में और विशेषत: हिन्दी अंचल में परम्परा के अज्ञान और उसकी दुर्व्याख्या भयावह रूप से फैल रही है। इसके बावजूद हमारे पास ऐसे सजग, ज्ञानसम्पन्न चिन्तक हैं जिनकी परम्परा में पैठ हमें अपनी आधुनिकता को नए आलोक में देखने-समझने की उत्तेजना देती रही है। इनमें से एक है नवज्योति सिंह जिनसे एक लम्बी ब..