एक संवेदनशील कवि-हृदय की धड़कन और एक वैज्ञानिक की नज़र-दोनों का संगम गौहर रज़ा की नज़्मों और ग़ज़लों की जान है। उर्दू की ख़ूबसूरती और हिन्दी की सादगी को शब्दों में पिरोने वाले, गौहर रज़ा,२०१६ तक वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत रहे । शायर और वैज्ञानिक होने ..
‘सदियों की एक गाथा है खामोशी के आंचल में, कभी डूबती उतराती सी दिखती है कुछ अक्षरों के जल में’...बात उनकी है-जिन्होंने ज़िन्दगी की कड़ी धूप में चलते हुए, अपने ही अक्षरों की छाया में बैठकर उस कड़ी धूप को झेल लिया। इस संकलन में कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़, कुछ खामोशी के दस्तावेज़, और कुछ उनकी बात भी है जो इस काल..
हिन्दी साहित्य में शायद यह पहला उपन्यास है जो दक्षिण अफ्रीका की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। इस उपन्यास में कथानक की रोचकता को सुरक्षित रखते हुए लेखिका ने एक ऐसे रंगभेदी समाज से हमें परिचित कराया है जहाँ कष्टसाध्य गुलामी तथा दुर्व्यवहार के दर्द की एक ख़ामोशी की गूँज हर समय सरसरती है।..