मैं कट सकता हूँ, मगर झुक नहीं सकता,’ यदि कोई इस विचारधारा में बह रहा है तो समझ लें, उसका पतन निश्चित है। ऐसे इनसान का अज्ञान चरम सीमा पर है। छोटे और अस्थायी लाभ में अटककर, वह सबसे मुख्य (पृथ्वी) लक्ष्य से दूर जा रहा है। ऐसी गलती किसी से न हो, इसलिए ‘अभिमान को अभी जान’ मंत्र द्वारा अहंकार को जड़ स..
लोग असली जीवन भूल गए हैं, वे डुप्लीकेटी से ही काम चलाते हैं। जैसे एक इनसान गलती से अपने घर की चाभी निगल गया, लेकिन एक महीने के बाद डॉक्टर के पास गया और कहा, ‘मैं अपने घर की चाभी निगल गया हूँ, उसे निकलवाना है।’ डॉक्टर ने पूछा, ‘आपने चाभी कब निगली थी?’ उसने जवाब दिया, ‘एक महीना पहले।’उस इनसान का यह ..
हर इनसान की मूल चाहत है स्वयं को जानना किंतु अहंकार, अज्ञान, अध्यान और अनजाने में उसके अंदर ऐसी चाहतें उभरकर आती हैं, जिनकी कोई सच्ची बुनियाद नहीं है। अनगिनत और अनावश्यक इच्छाओं के भँवर में फँसकर इनसान का जीवन किस ओर जा रहा है, यह वह देख ही नहीं पा रहा है। मान्यता और माया के शिकंजे में उसके जीवन की ..