भट्टजी की प्रमुख चिन्ता भारतेन्दु की ‘स्वत्व निज भारत लाह’ या देशवत्सलता ही नहीं, बल्कि मुल्क की तरक़्क़ी और देशत्वाभिमान भी था। उनकी चिन्ता थी कि देश की अस्मिता की रक्षा कैसे की जाए। देशत्व रक्षा का उपाय क्या है। एक ओर वे नई तालीम के पक्षधर थे, क्योंकि यह अन्ध धार्मिकता, काहिली और भेदभाव को दूर करत..
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की विपुल रचना-सामर्थ्य का रहस्य उनके विशद शास्त्रीय ज्ञान में नहीं, बल्कि उस पारदर्शी जीवन-दृष्टि में निहित है, जो युग का नहीं युग-युग का सत्य देखती है। उनकी प्रतिभा ने इतिहास का उपयोग ‘तीसरी आँख’ के रूप में किया है और अतीत-कालीन चेतना-प्रवाह को वर्तमान जीवनधारा से जोड़ पा..