महानगर हो या शहर जब घर के भीतर बागबानी की बात आती है तो मन अचरज से भर जाता है। कारण, आज की व्यवस्था में आबादी का फैलाव इस तरह हुआ है कि खुला स्थान, वाटिका और उद्यान तो एक सपना ही बनता जा रहा है। जो लोग दो-तीन कमरों के फ़्लैटों में रह रहे हैं, खुले स्थान के नाम पर एक छोटी सी बालकनी, बरामदा या फिर भाग..