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Brand: Lokbharti Prakashan
यूनानी दार्शनिक प्लेटो, जिसे भारत में अफ़लातून के नाम से जाना जाता है, के साहित्य सम्बन्धी विचारों से लेकर बीसवीं शताब्दी के ब्रिटिश समीक्षकों के साहित्य सम्बन्धी विचारों तक को समेटने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है और एक अपेक्षाकृत दुरूह समझे जानेवाले विषय को बोधगम्य बनाने का प्रयत्न किया गया ह..
₹ 550.00
Ex Tax:₹ 550.00
Brand: Prabhat Prakashan
विषय-सूची1. प्रशासनिक नैतिकता —Pgs. 1-3प्रशासनिक नैतिकता —Pgs. 1प्रशासनिक नैतिकता के तीन मूलभूत घटक —Pgs. 2सिविल सेवा से जुड़ी नैतिक शर्तें या सिद्धांत —Pgs. 2प्रशासनिक नैतिकता के लिए आवश्यक शर्तें —Pgs. 22. नीतिशात्र और परस्पर मानव-व्यवहार —Pgs. 4-7नीतिशास्त्र की शाखाएं या अध्ययन क्ष..
₹ 165.00
Ex Tax:₹ 165.00
Brand: Prabhat Prakashan
पुस्तक के बारे में: बाजार में स्तरीय पुस्तकों के अभाव को देखते हुए इस पुस्तक की रचना की गई है। वैसे तो बाजार में अनेकों पुस्तकें इस विषय पर उपलब्ध हैं, परंतु उनमें स्तरीय सामग्री का अभाव है। छात्रों की समस्याओं (प्रामाणिक सामग्री का अभाव, परीक्षा पैटर्न पर आधारित सामग्री का अभाव, विषय की सरलता एवं स..
₹ 425.00
Ex Tax:₹ 425.00
Brand: Rajkamal Prakashan
देवेन्द्र राज अंकुर ने अपनी इस पुस्तक में रंगमंच को सौन्दर्यशास्त्रीय दृष्टि से देखा है। यह पुस्तक रंगमंच के सौन्दर्यशास्त्र को व्याख्यायित करनेवाली हिन्दी में अपने ढंग की पहली पुस्तक है।यह सच है कि हिन्दी रंगमंच के प्रसिद्ध आलोचक नेमिचन्द्र जैन ने नाट्य-आलोचना पर केन्द्रित अपनी कृतियों में नाटक क..
₹ 450.00
Ex Tax:₹ 450.00
Brand: Prabhat Prakashan
‘अवधी’ पूर्वी हिन्दी उपभाषा वर्ग की बोली है। पूर्वी हिन्दी की अन्य बोलियां हैं-बघेली एवं छत्तीसगढ़ी। पश्चिमी हिन्दी की बोलियां हैं-खड़ीबोली (कौरवी) ब्रजभाषा, बुन्देली, हरियाणवी (बांगरू), कन्नौजी/राजस्थानी हिन्दी की बोलियां हैं-मारवाड़ी जयपुरी, मेवाती, मालवी तथा बिहारी हिन्दी की बोलियां हैं-मैथिली, म..
₹ 225.00
Ex Tax:₹ 225.00
Brand: Lokbharti Prakashan
राजनीतिक जगत की तरह आलोचना भी दो शिविरों में बँट गई है—समाजशास्त्र का शिविर और भाषाशास्त्र का शिविर। दोनों शिविर समय-समय पर एक दूसरे पर हमला करते हैं। आलोचना का संकट यह है कि क्या उसे हर हालत में शिविरबद्ध होकर ही रहना पड़ेगा? सही बात तो यह है कि हम न जीवन में विज्ञान और टेक्नोलॉजी से मुक्त हो सकत..
₹ 350.00
Ex Tax:₹ 350.00
Brand: Radhakrishna Prakashan
गोष्ठियों के रूप अभी भी शादी-ब्याह की तरह हैं। एक दूल्हा, बाक़ी बाराती। गोष्ठी के मंच जातिभेद कराते हैं। ऊपर महान बैठेंगे। नीचे दासानुदास। एकदम विनय पत्रिका वाली हाइरार्की। प्रगतिशील, रूपवादी सब ये ही करते हैं।बहस न सही, तू-तू, मैं-मैं ही सही। कुछ तो है। बुरा क्या है? नए पूँजीवाद में ये तो होना ही..
₹ 250.00
Ex Tax:₹ 250.00
Brand: Rajkamal Prakashan
कविता के सौन्दर्यशास्त्रीय अध्ययन की आवश्यकता इसलिए है कि वह न सिर्फ़ मनुष्य के सर्जनात्मक अन्तर्मन की एक रचनात्मक प्रक्रिया है, बल्कि उसकी संरचना में अन्य कलाओं के तत्त्व और गुण भी समाहित होते हैं। भारतीय काव्य-चेतना की परम्परा के अनुसार भी काव्यशास्त्रीय ग्रन्थों में कविता के कलात्मक अंश और काव्ये..
₹ 0.00
Ex Tax:₹ 0.00